Friday, May 11, 2018

Biplaw da.

माननीय मुख्यमंत्री त्रिपुरा श्री बिप्लव दा !

कसम से हमें भी आप जैसा एक चाहिए। उत्तराखंड में कम तो नहीं हैं। अभी तक तीन बट्टा चार दर्ज़न हो चुके हैं पर तुम्हारी प्रतिभा देखकर, मैं तो हतप्रभ हूँ। हमारे मुख्यमंत्रियों ने भी खास मौकों पर जब मुंह खोला तब-तब कमाल किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे नवोदित राज्य में विकास की अपार संभावनाएं हैं। और तब ; रात में दिन में, सुबह में शाम में, गली-गली, अंधेरे-उजाले में, किलमोड़े के झाड़ में, दारू-बजरी की आड़ में, मैदान में, पहाड़ में नेताओं का विकास होता गया। फिर संभावनाओं की भी औलादें  पैदा हुईं। बालक बालिका और उभयलिंगी भी। उनको विकास पुरुषों का नाम-खानदान मिला। इस तरह अपनी वल्दियत धारण किये वह अपार होती चली गईं। अब 18 बरस बाद उन्होंने कहा है कि हमें अपनी जमीन नहीं बेचनी चाहिए। जमीन होगी तो रोजगार पैदा होगा, संभावना पैदा होगी। रोजगार पैदा हो गया तो पलायन को झक मारकर घर में ही रुकना होगा। फिर भी हमें एक विकल्प चाहिए.... हमें एक अदद विप्लव चाहिए।

उन्होंने कहा सपनों का उत्तराखंड बनाएंगे। फिर सबने सपने देखे। ब्लैक एंड वाइट सपने, दिन में काले, रात में सफेद सपने, रंगीन सपने, आंखें बंद करके और आंखें खोलकर देखे गए सपने। सपनों में देवभूमि आई, देवता आए, बद्री-केदार, गोलू, महासू, कल बिष्ट आए। गीत-संगीत, जागर दिखाई दिए, नदी-तालाब, गाड़-गधेरे, गडेरी, गंधरैणी, यारसागंबू, कुटकी, अतीस दिखाई दिए। तब उन्होंने कहा कि हमारे पास सब चीजों का विशाल भंडार है। इसके लिए एक पंचेश्वर बांध बनना जरूरी है। जिसमें खराब सपने डूब जाएंगे और शेष के अनुरूप उत्तराखंड बन जाएगा।... फिर भी हमें अपना एक विप्लव चाहिए।

उत्तराखंड सरकार पर बारम्बार ये तोहमत लगता है कि  हमारी नौकरशाही बेलगाम है। अब क्या बताऊँ बिप्लव दा सच तो ये है कि सरकार से जुड़े सिविल सर्वेंट में कोई भी सिविल इंजीनियर नहीं है। इस तथ्य के मद्देनजर आपके दिशा निर्देश से बल्कि मात्र आपकी चरणधूलि पाकर अपनी नौकरशाही की बुद्धि ठिकाने आ सकती है। .... इसलिये हमें अपना ओन बिप्लव चाहिए।

आपकी इंटरनेट थ्योरी की बलाएं लेते हुए, उत्तराखंड को वापस उसकी जगह पहुंचाने के लिए, आपका सहयोग एक ऐसे मुद्दे पर चाहता हूँ जो 2019 में आपकी पार्टी के लिए देश भर में काम आएगा।
दद्दा, हमारे सूबे में बहुत से लोगों को, जिसमें कुछ आपकी पार्टी वाले नादान भी शामिल हैं, इस बात पर विश्वास हो चला है कि आदमी मंगल ग्रह पर पहुँच गया है। जबकि आप जानते ही हैं कि ऊपर वाले ने उनको बेवकूफ बनाया। इसमें आपकी जानकारी के लिये एक प्रामाणिक बात जोड़ दूँ कि अमावस की एक अंधेरी रात, जब दैव इच्छा से मंगलवार भी पड़ा था, रात्रि के तीसरे पहर में तथाकथित मंगलयान जैसी कोई चीज नैनीताल के चीनापीक में उतरी थी। इस मुद्दे पर यहाँ आज भी बहस जारी है। आवश्यकता इस बात की है कि कोई मुख्यमंत्री इस बात को जोर देकर कह दे कि मंगल भगवान के आंगन में जीते-जागते मनुष्य का पांव पड़े तो वो अपने ठेले समेत भसम हो जाएगा। बस टी वी साक्षात्कार के माध्यम से यह बात बताने की जरूरत है।

मतिभ्रम के कारण विपक्ष को केंद्र में 2019 में अपनी सरकार बनती दिखाई दे रही है। फिलहाल आप थोड़े दिन के लिए उत्तराखंड के प्रभारी बन कर त्रिवेंद्र जी का मार्गदर्शन कर डालें, इन मुंगेरी लालों के मंसूबे धरे के धरे रह जाएंगे और .. आप समझ रहे हैं ना त्रिपुरा और त्रिवेंद्र !

आपका प्रशंसक

टिल्लू उत्तराखंडी।

Umesh Tiwari 'Vishwas'

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