Saturday, February 21, 2015

सबै भूमि गोपाल की

          सबै भूमि गोपाल की  
                           उमेश तिवारी ‘विश्वास’

यार प्रजा कभी-कभी तुम्हारी नादानी पर मुझे बड़ा गुस्सा आता है....! तुमने कभी सोचा जो गैस-बिजली, तेल-पानी तुमको मिलती है उसका थोड़ा मंहगा होने का क्या कारण है ? प्यारी, चुनावों में खर्चा करके जो तुम्हारी लोकप्रिय सरकार बनवाते हैं उनका भी कुछ हक बनता है. सिर्फ़ इसीलिए सरकार तुमको सीधे-सीधे अंतर्राष्ट्रीय दामों में पेट्रोल, डीजल या गैस मुहैय्या नहीं करवा सकती. कोयले की खानें काम दाम में इसलिए दी जाती हैं ताकि तुमको बिजली सस्ती मिले. प्राकृतिक/अप्राकृतिक राष्ट्रीय संसाधनों के सुविचारित आबंटन को तुम लूट कह देती हो. यकीन रखो सारे उद्योग तुम्हारे हैं, उद्योगपति तुम्हारे साले हैं.

तुम भूल जाती हो कि जिसमें तुम जी रही हो या मर रही हो, वो तुम्हारा ही तंत्र है. प्रजातंत्र, जनतंत्र, लोकतंत्र. तुम इस कृषि प्रधान देश की प्रजा हो, जन हो. ये खेती चौपट होने का रोना बंद करो. लोकतंत्र की पैदाइश तुम्हारे ही खेत में हो रही है और अच्छी हो रही है. मोदी से लेकर विक्की तक सारे नेता तुम्हारे खेत की मुडेर पर दंड पेल रहे हैं, हर छोटी से छोटी प्रोग्रेस पर कड़ी नज़र बनाये हुए हैं. तुम कहोगी ये कैसी उलटबांसी है ? खेत तुम्हारा और निगरानी कर रहे हैं वो, जिनके पास करने को भतेरे काम पड़े हैं ? प्यारी ! वो अपनी प्राथमिकताओं के अनुरूप काम करते हैं. खेत तुम्हारा ज़रूर है, पर इसमें बीज बो दिए हैं उन्होंने. भविष्य के सभासदों, मेयरों, विधायकों, सांसदों की पौध रोप दी है राजनीतिक दलों ने. तुम्हारा होते हुए भी ये अब देश का खेत है. तुम्हारा फ़र्ज़ बनता है कि अपना तन, मन और धन लगा कर इस खेत के बिरवों-बेलों को बड़ा करो. उन्हें हृष्ट-पुष्ट, लम्बा-चौड़ा और चरित्रवान बनाओ. इसीमें तुम्हारी और तुम्हारे खेत/देश की भलाई है.
ऐसा भी नहीं है कि तुम्हारे खेत में स्थापित जनतंत्र की इस नर्सरी में विभिन्न प्रजाति के बीज बो कर वो सारी ज़िम्मेदारी तुम्हारे ऊपर लाद देंगे. वो कुछ अतिरिक्त सहयोग भी प्रदान करेंगे. वो तुम्हारे खेत में भिषोंण (बिजूखा) के रूप में प्रशासन की उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे. जिसके भय से कमअक्ल प्रवासी/परप्रांतीय आतातायी पक्षी खेतों से दूर रहेंगे. सत्तासीन दल कुछ विशेष बेलों को खरपतवार के रूप में वर्गीकृत कर, उनका विस्तार रोकने को सी बी आइ नामके कीटनाशक का उपयोग करेंगे. समय-समय पर वो अपने क्षत्रपों के सहयोग से स्वयं तुम्हारे खेत की निराई-गुड़ाई करेंगे. जो पौधे अपेक्षित ग्रोथ न दिखा रहे हों या तुम्हारी शराफत के संस्कारों के प्रभाव में दूसरों की खाद चूस पाने का गुण विकसित न कर पायें और मरियल रह जाएँ, उनको कम्पोस्ट के गड्डे में डाल देंगे. ये कालांतर में पूरी तरह सड़-गल कर चुनावी खाद का निर्माण करेंगे.
तैयार होने पर कुछ पौधे देहरादून, दिल्ली आदि जैसी राजधानियों की उर्वरा क्यारियों में शिफ्ट कर दिए जायेंगे. वहां विभिन्न क्षेत्रों/प्रान्तों से चुनकर लाये गए पौधों के संपर्क में आएंगे. उनसे टक्कर लेते हुए आगे निकल कर अपने प्रान्त का नाम रोशन करेंगे. ख़ूब फूलेंगे-फलेंगे.
फूल स्वाभाविक रूप से ज़मीन के ऊपर खिलेंगे और दसों दिशाओं में अपनी गंध फैलायेंगे. शुद्ध आचार, पवित्र व्यवहार की हवा में लहराते हुए दिलफेंक मक्खियों-भंवरों को अपनी-अपनी ओर खींचेंगे. उनके साथ मिलकर तुम्हारे विकास की खातिर पी पी पी मोड पर प्रोजेक्ट बनायेंगे. कुछ फूलों को इस मुकाम पर तुम्हारे सर का ताज बनाने के लिए चुन लिया जायेगा.
जहाँ तक तुम्हारे खेतों से उगकर इस श्रेष्ठ गति को प्राप्त पेड़-पौधों पर लगने वाले फलों का प्रश्न है, फल उनकी जड़ों में आलू-मूली की तरह फलते हैं. जिससे वो बुरी नज़रों, जिसमें तुम्हारी भी शामिल है, से बचे रहते हैं. भूमिगत होने से इनको राष्ट्रीय संसाधन की श्रेणी में रखा जाता है. मोटे तौर पर तुम्हारी तसल्ली के लिए, जितना मोटा पौधा उतने भारी फल.
जब इनकी खुदाई/तुड़ाई का अवसर आता है तो जिस विधि से स्पेक्ट्रम और कोयले की नीलामी की जाती है उसी पारदर्शिता के साथ ‘फल खाओ पट्टे’ दिए जाते हैं. मौका लगने पर ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की नीति और गठबंधन की दशा में मिलबांट कर उपभोग की नीति अपना ली जाती है. यह सब तुम्हारे और भारत के राष्ट्रपति के बिहाफ़ पर ही किया जाता है. वो तुमसे ज़्यादा पढ़े-लिखे हैं. सरकारी नीति में कुछ ऊँच-नीच होता तो वो इनको खुदा घर तक नहीं छोड़ते.  

खेत के मालिकाना हक को लेकर भी ज्यादा चूं-चपड़ करने का तुमको अब कोई फायदा नहीं होने वाला. भू अधिग्रहण का नया फार्मूला ‘सबै भूमि गोपाल की’ पर आधारित है. तुम गोपाल को नहीं जानते और तुमको ये भी पता नहीं कि सुदामा, बलदाऊ वगैरा से उसके क्या संबंध हैं. वो तुम्हारे खेत के गर्भ में तेल या गैस होने की संभावना जता देगा. फिर बैठे रहना मुआवज़े का चेक ले के. ये गोपाल जो भी हो, तुम्हारा कतई नहीं है.

(उमेश तिवारी ‘विश्वास’- उत्तराखंड में मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं. संपर्क- 09412419909)


               

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