पंचेश्वर डाम निधरौ हमार मुनव में
ये सौदा है घाटे का
जो डूब रहा वो सोना है।
गोलज्यू की जागर है इसमें,
कबूतरी के गीत,
झूसीया का इसमें हुड़का
रीठागाड़ी का संगीत।
ये सौदा है घाटे का, जो डूब रहा वो सोना है।।
मिलती थी जो आपस में,
नदी, नदी में डूब रही है,
रामगंगा, महाकाली में,
पनार, सरयू ढूंढ रही है।
ये सौदा है घाटे का, जो डूब रहा वो सोना है।।
धेई, चाख सब डूब रहे हैं,
समेऊ, बनफ्शा डूब रहा है,
आकाश की गेठी,
पाताल का तैड़ डूब रहा है,
बांज, बुरांश - काफल, किल्मोड़ा,
पुराना जंगल डूब रहा है।।
ये सौदा है घाटे का, जो डूब रहा वो सोना है।।
दमवाँ, नगाड़ा, निशाण,
धूणी और तिथाण,
ऐड़ी बाराही के थान,
हिमालय का रामेश्वर डूब रहा है।।
ये सौदा है घाटे का,
जो डूब रहा वो सोना है,
मारी गई है मति तुम्हारी,
ये उत्तराखंड का रोना है।
ये सौदा है घाटे का, जो डूब रहा वो सोना है।।
उमेश तिवारी 'विश्वास'
Show quoted text
No comments:
Post a Comment